Explainer: 44 साल में सबसे कम EPF पर ब्याज, कभी 12% मिलता था Interest, समझें अब कितना कम पैसा मिलेगा
EPF Interest rate 2022: PF के दायरे में आने वाले देश के 7 करोड़ सब्सक्राइबर के लिए ये अच्छी खबर नहीं है. ये पहली बार नहीं है जब आपके पैसे यानी EPF पर 'कैंची' चली है.
EPF Interest rate 2022: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 0.40 फीसदी की कटौती कर 8.10% तय कर दी है. PF के दायरे में आने वाले देश के 7 करोड़ सब्सक्राइबर के लिए ये अच्छी खबर नहीं है. ये पहली बार नहीं है जब आपके पैसे यानी EPF पर 'कैंची' चली है. एक वक्त वो भी था जब EPF पर मिलने वाली ब्याज दर 12% तक हुआ करती थी. लेकिन, लगातार बढ़ती महंगाई, घटने रिटर्न और EPFO की कमाई कम होने के चलते आपकी बचत में भी कटौती होती रही. PF अकाउंट में डिपॉजिट पर 8.5% के बजाए 8.10% की दर से ब्याज मिलेगा.
44 साल में सबसे कम EPF पर ब्याज
EPFO का ये ब्याज पिछले करीब 44 साल में सबसे कम है. 1977-78 में EPFO ने 8% का ब्याज दिया था. उसके बाद से यह 8.25% या उससे ज्यादा ही रहा. पिछले दो फाइनेंशियल ईयर (2019-20 और 2020-21) की बात करें तो ब्याज दर 8.50% रही है. 1952 में जब भारत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना की तब ये EPF स्कीम 1952 एक्ट को लागू किया गया. यहीं से PF पर मिलने वाले ब्याज की शुरुआत हुई. शुरुआत में इस पर ब्याज दर महज 3% थी. इसके बाद वित्त वर्ष 1955-56 में इसे पहली बार बढ़ाया गया. दो साल के लिए तय की गई यह ब्याज दर 3.50% रही. इसके बाद 1963-64 में यह बढ़ते हुए 4% पर पहुंची.
1963-64 से हर साल बढ़ाई गई ब्याज दर
वित्त वर्ष 1963-64 के बाद से हर साल इसे 0.25 फीसदी बढ़ाया जाने लगा. 1969-70 तक यह बढ़कर 5.50% पहुंच गई. हालांकि, उसके बाद से इसके लगातार 0.25% पर ब्रेक लगा और ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 1970-71 में इसे महज 0.10 फीसदी ही बढ़ाया.
पहली बार 8% हुई ब्याज दर
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1977-78 में पहली बार ब्याज दर 8% पहुंची थी. उसके बाद से यह इससे ऊपर ही है. लेकिन, 1978-79 में सबसे बड़ा फायदा पीएफधारकों को मिला. जब सरकार ने इसे 8.25% करने के साथ ही 0.5% का बोनस भी दिया. हालांकि, यह बोनस उन लोगों के लिए लिया था, जिन्होंने कभी अपना PF कभी नहीं निकाला हो. बोनस के रूप में मिलने वाली रकम को सिर्फ 1976-1977 और 1977-1978 के PF पर ही दिया गया.
पहली बार मिला 10% ब्याज
पीएफ पर मिलने वाला ब्याज पहली बार दो डिजिट में 1985-86 में पहुंची. उस दौरान सरकार ने सीधे इसे 9.90% से बढ़ाकर 10.15% कर दिया. इसके बाद और ऊंची छलांग देखने को मिली. जब अगले ही साल 1986-87 के लिए ब्याज दर 11% तय की गई.
10 साल तक नहीं बदली ब्याज दर
पहली बार ऐसा हुआ जब पीएफ ब्याज दर को 10 साल तक बदला नहीं गया. ईपीएफओ ने 1989-90 में पीएफ पर सबसे अधिकतम ब्याज 12% देने का फैसला किया, लेकिन इसके बाद 2000 तक इसे नहीं बदला गया. वित्त वर्ष 2000-01 तक पीएफ पर 12% ही ब्याज मिलता रहा. लेकिन, इसके बाद लगातार नौकरीपेशा की जेब पर कैंची चलती गई. जुलाई 2001 से इसे घटाकर 11% किया गया.
फिर कैसे घटती गई ब्याज दरें
2004-05 में फिर नौकरीपेशा की जेब पर कैंची चली. EPF ब्याज दर सीधे 1% की कटौती की गई और इसे 9.50% से घटाकर 8.50% कर दिया गया. हालांकि, 2010-11 में इसे बढ़ाकर फिर से 9.50% तय किया गया. लेकिन, 2011-12 में फिर एक बार बड़ी कटौती की गई. इसे सीधे 9.50% से घटाकर 8.25% कर दिया गया. 2014-15 में यह फिर से बढ़कर 8.75% पर पहुंची. 2015-16 में इसे फिर बढ़ाया गया और यह दर 8.80% तक पहुंची. लेकिन, उससे बाद से इसमें लगातार कटौती होती रही है. मौजूदा दर 2021-22 के लिए तय की गई है, जो 8.10% तय की गई है.
यहां समझें EPF पर ब्याज का कैलकुलेशन
EPFO एक्ट के तहत कर्मचारी को बेसिक सैलरी प्लस DA का 12% PF अकाउंट में जाता है. तो वहीं, कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12% कंट्रीब्यूट करती है. कंपनी के 12% कंट्रीब्यूशन में से 3.67% कर्मचारी के EPF अकाउंट में जाता है और बाकी 8.33% कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है.
मान लीजिए आपके EPF अकाउंट में 31 मार्च 2022 तक (वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ओपनिंग बैलेंस) कुल 5 लाख रुपए जमा हैं. ऐसे में अगर आपको 8.50% की दर से ब्याज मिलता तो आपको 5 लाख पर 42,500 रुपए ब्याज के रूप में मिलते. लेकिन, अब ब्याज दर को घटाकर 8.10% करने के बाद आपको 40,500 रुपए ब्याज मिलेगा. मतलब आपके सालाना ब्याज पर आपको दो हजार रुपए का नुकसान हुआ है. ये कैलकुलेशन सिर्फ उदाहरण के लिए की गई है. वास्तविक कैलकुलेशन अलग भी हो सकती है.
09:27 AM IST